सस्यवेदः सस्य वेद: (पुरातन कृषि शास्त्र) - प्राचीन कृषि विज्ञान
सस्यवेदः सस्य वेद: (पुरातन कृषि शास्त्र) - प्राचीन कृषि विज्ञान
"सस्यवेद" नामक पुस्तक फसल की खेती और कृषि के विज्ञान पर प्रकाश डालती है। यह कृषि के आवश्यक पहलुओं की पड़ताल करता है, उचित भूमि चयन, बीज की गुणवत्ता, बीज उपचार, बुआई, अंकुरण और फसल पकने के महत्व पर जोर देता है। यह पुस्तक मानव जीवन में कृषि के महत्व को रेखांकित करने के लिए वैदिक भजनों सहित विभिन्न प्राचीन ग्रंथों से ली गई है। यह फसल उत्पादन से संबंधित विषयों का एक संग्रह है, जिसे विविध स्रोतों से संकलित किया गया है, और एकरूपता और व्यावहारिकता के लिए व्यवस्थित किया गया है।
श्री श्री रविशंकर जैसे आध्यात्मिक नेताओं की शिक्षाओं से प्रेरित होकर लेखक ने ऋषि-कृषि (टिकाऊ कृषि) की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए इस शोध को शुरू किया। यह पुस्तक न केवल कृषि संबंधी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, बल्कि कृषि और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध पर भी प्रकाश डालती है, कृषि भूमि, जंगलों और पहाड़ों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर देती है। लेखक का उद्देश्य टिकाऊ और सामंजस्यपूर्ण कृषि पद्धतियों के विकास में योगदान देना है।
यह पुस्तक कृषि के प्राचीन ज्ञान और मानव जीवन और पर्यावरण में इसके महत्व में रुचि रखने वालों के लिए एक मूल्यवान संसाधन का प्रतिनिधित्व करती है। यह ज्ञान का एक संग्रह है, जिसे पाठकों और विद्वानों के लाभ के लिए सावधानीपूर्वक संकलित और प्रस्तुत किया गया है।
"सस्यवेद" नामक पुस्तक खेती की खेती और कृषि के विज्ञान पर प्रकाश डालती है। यह कृषि के आवश्यक मापदंडों का आकलन, भूमि चयन, बीज की गुणवत्ता, बीज उपचार, बीजाई, बीज और कृषि के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर आधारित है। यह पुस्तक मानव जीवन में कृषि के महत्व को दर्शाती है, जिसमें वैदिक भजनों सहित विभिन्न प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख किया गया है। यह व्यावसायिक उत्पादन से संबंधित विषयों का एक संग्रह है, जिसमें विविध विविधताओं को शामिल किया गया है, और एकरूपता और व्यावहारिकता को सुरक्षित किया गया है।
श्री श्री यूनिवर्सल जैसे आध्यात्मिक नेताओं की शिक्षाओं से प्रेरित लेखक ने ऋषि-कृषि (टिकाऊ कृषि) की अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए इस शोध को शुरू किया। यह पुस्तक केवल कृषि वैज्ञानिक सैद्धांतिक प्रस्ताव नहीं करती है, बल्कि कृषि और पर्यावरण के बीच गहरे संबंध पर भी प्रकाश डालती है, कृषि भूमि, पूर्वोत्तर और पहाड़ों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर देती है। लेखक का उद्देश्य उद्यम और प्रयोगशाला कृषि तकनीकों के विकास में योगदान देना है।
यह पुस्तक कृषि के प्राचीन ज्ञान, मानव जीवन और पर्यावरण को महत्वपूर्ण रूप से रुचि रखने वालों के लिए एक मूल्यवान स्रोत का प्रतिनिधित्व करती है। यह ज्ञान का एक संग्रह है, जिसे साधकों और शिष्यों के लाभ के लिए स्टॉक में रखा गया है और प्रस्तुत किया गया है।
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