कृषि इनपुट (रसायन):
- कृषि क्षेत्र में "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर" पहलों को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए, 2023-24 के केंद्रीय बजट में आयातित तैयार कीटनाशक उत्पादों पर लगने वाले सीमा शुल्क को 10% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है। पेस्टिसाइड्स मैन्युफैक्चरर्स एंड फॉर्म्युलेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने घरेलू उत्पादों को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए सरकार से यह कदम उठाने का अनुरोध किया था। सरकार ने तकनीकी ग्रेड कीटनाशकों के लिए एक अलग HS कोड वर्गीकरण करने का निर्णय लिया है और उन पर लगने वाले आयात शुल्क को भी 10% निर्धारित किया है।
- इस नई पहल का इरादा रासायनिक उर्वरकों की लागत को कम करना है, जो 2022-2023 में बढ़कर 2.25 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो 2021 के कुल 1.62 लाख करोड़ से 39% अधिक है।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक नया कार्यक्रम PM-PRANAM शुरू किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी के पास के खेतों से शुरू करते हुए रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाना है।
डिजिटल कृषि:
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण: डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के माध्यम से किसानों के लिए सुलभ, समावेशी और सूचनात्मक समाधान प्रदान करने के लिए 450 करोड़ के प्रावधान के साथ एक ओपन-सोर्स, ओपन-स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल डिजिटल कृषि मिशन की स्थापना की जाएगी।
इसके माध्यम से, सरकार निम्नलिखित की पेशकश करना चाहती है:
- फसल योजना और स्वास्थ्य के लिए प्रासंगिक सूचना सेवाएं।
- फसल के आकलन और बाजार की जानकारी में मदद।
- किसानों के सामने आनेवाली चुनौतियों के लिए अभिनव और किफायती समाधान
- आधुनिक प्रौद्योगिकियां, जो की कृषि प्रथाओं को बदलें और उत्पादकता और लाभप्रदता लाभ में वृद्धि करें।
- किसानों को उन्नत डिजिटल और हाई-टेक सेवाएं प्रदान करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की शुरुआत।
- किसानों को उनकी कृषि संबंधी गतिविधियों में मदद करने के लिए किसान ड्रोन के उपयोग का प्रस्ताव दिया जा रहा है।
- "भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना और भारत के लाभ के लिए AI का उपयोग" के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों में AI पर केंद्रित तीन उत्कृष्टता के केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
उच्च मूल्य की फसल के लिए क्लीन प्लान्ट (स्वच्छ पौधा):
- रोग मुक्त, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के लिए 2,200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ फसल उत्पादन में सुधार के लिए आत्मनिर्भर भारत होर्टिकल्चर क्लीन प्लान्ट प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है। रोग-मुक्त रोपण सामग्री की कमी से पैदावार में कमी आई है और किसानों को अनार जैसी फसलों के रोपण के क्षेत्रफल को कम करने के लिए प्रेरित किया है। ग्राफ्टिंग के माध्यम से बागवानी फसलों को प्रचारित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप फंगल (फफूँद) संक्रमण और बैक्टीरियल ब्लाइट फैल सकता है, जिससे किसानों को अपने बागों को उखाड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
बाजरा, जौ, जुआर:
- भारत, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं, अनुसंधान और प्रौद्योगिकियों को साझा करने, कटाई के बाद के मूल्य संवर्धन, खपत और बाजरा उत्पादों की ब्रांडिंग को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में हैदराबाद में भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान का समर्थन करके दुनिया में बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर 'श्री अन्न' के लिए एक वैश्विक केंद्र बनना चाहता है।
कपास:
- सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से क्लस्टर-आधारित और मूल्य-श्रृंखला दृष्टिकोण के माध्यम से अतिरिक्त लंबे रेशे - स्टेपल वाले (ELS) कपास की उत्पादकता बढ़ाने की योजना बना रही है ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके और उच्च गुणवत्ता वाले सूती धागे का उत्पादन किया जा सके।
कृषि वित्त, स्टार्टअप और सहकारीता को बढ़ावा:
- सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नवीन स्टार्टअप्स का समर्थन करने के लिए एक कृषि वेगवर्धक निधि को स्थापित कर रही है।
- कृषि-सहकारी संस्थाओं को कर में राहत मिलेगी और स्टार्टअप को कर लाभ मिलेगा।
- पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्रों के लिए कृषि ऋण में 20 लाख करोड़ के वित्त पोषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- छोटे और सीमांत किसानों और अन्य सीमांत समूहों के लिए सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल लागू किया जा रहा है।
- इस परियोजना का लक्ष्य 2,516 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ पांच वर्षों में 63,000 कार्यात्मक PACS का कम्प्यूटरीकरण करना है, जिसमें सरकार की हिस्सेदारी 1,528 करोड़ रुपये है।
खरीद, भंडारण:
- सरकार व्यापक रूप से उपलब्ध विकेन्द्रीकृत भंडारण क्षमता स्थापित कर रही है ताकि किसानों को उनकी उपज को स्टोर (भंडारण) करने और समय पर बिक्री के माध्यम से उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद मिल सके।
- सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 1,208 लाख मीट्रिक टन गेहूं और धान की खरीद करेगी, जिससे 163 लाख किसानों को 2.37 लाख करोड़ का लाभ होगा।
मत्स्य पालन:
- मछली विक्रेताओं, मछुआरों और मछली पकड़ने के उद्योग में सूक्ष्म और लघु व्यवसायों की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए PM मत्स्य संपदा योजना शुरू की जाएगी।
सिंचाई:
- केंद्र सरकार कर्नाटक में स्थायी सूक्ष्म सिंचाई प्रयासों का समर्थन करने और पीने के पानी के लिए सतही टैंकों को फिर से भरने के लिए 5300 करोड़ रुपये का वित्त पोषण प्रदान करेगी।
जैव-कृषि:
- गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (GOBARdhan) योजना के तहत 500 अतिरिक्त "वेस्ट टू वेल्थ" सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। इनमें 200 कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र शामिल होंगे, जिनमें से 75 शहरी क्षेत्रों में स्थित होंगे, और 300 समुदाय या क्लस्टर-आधारित सुविधाएं होंगी। इस पहल के लिए कुल निवेश 10,000 करोड़ रुपये का होगा।
वन:
- वृक्षारोपण में भारत की सफलताओं के आधार पर समुद्र तट के किनारे और नमक की भूमि पर मैंग्रोव लगाने के लिए "मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटेट्स एंड टैंजिबल इनकम" (MISHTI) शुरू किया जाएगा।
कार्बन क्रेडिट:
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत "ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम" कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों द्वारा पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार कार्यों को प्रोत्साहित करेगा और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्रोतों से अतिरिक्त संसाधन जुटाने में सहायता करेगा।