Complete Guide to Guava Cultivation: Best Practices for Organic Farming - SOUL SOCIETY FOR ORGANIC FARMING

🌿 अमरूद की खेती की पूरी गाइड: जैविक खेती के सर्वोत्तम तरीके

क्या आप अमरूद की खेती करते हैं या बागवानी के शौकीन हैं और एक टिकाऊ और उच्च उपज वाली जैविक खेती की तलाश में हैं? हमारा अमरूद पैकेज ऑफ प्रैक्टिस, मृदा स्वास्थ्य में सुधार, पोषण प्रबंधन और कीटों व बीमारियों की रोकथाम के लिए एक व्यापक, विज्ञान-समर्थित विधि प्रदान करता है - और साथ ही अधिकतम उपज और पारिस्थितिक संतुलन भी बनाए रखता है।

1. मिट्टी के पूर्ण जैविक उपचार हेतु योजना

उत्पाद

पहली बार उपयोग

बाद में उपयोग

जीवाणु जल

1000 लीटर

2–3 महीने बाद 200 लीटर

जंगल जीवाणु

1000 लीटर

5–6 महीने बाद 200 लीटर

फफूंद भक्षक

500 लीटर

हर 3 महीने में 200 लीटर (केवल पहले वर्ष)

फफूंद भक्षक पाउडर

1 किग्रा फफूंद भक्षक + 100 किग्रा कंपोस्ट + 2 किग्रा गुड़ (10 दिन किण्वन करें)

1 एकड़ में उपयोग

भक्षक V+

500 लीटर

6 महीने बाद 200 लीटर

भक्षक M+

500 लीटर

6 महीने बाद 200 लीटर

भक्षक PM

500 लीटर

6 महीने बाद 200 लीटर

ज़ीरो तोड़े

2 किग्रा प्रति एकड़

फफूंद भक्षक कंपोस्ट विधि से तैयार करें

ज़ीरो ग्रैब

2 किग्रा प्रति एकड़

फफूंद भक्षक कंपोस्ट विधि से तैयार करें

नैनो महीराजा

1 किग्रा प्रति एकड़

 

2. मिट्टी पोषण उपचार (मिट्टी संतुलन के आधार पर)

मिट्टी परीक्षण के आवश्यक पैरामीटर:

  • pH
  • EC (इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी)
  • OC (ऑर्गेनिक कार्बन)
  • CEC (कैटायन एक्सचेंज कैपेसिटी)
  • जल धारण क्षमता
  • मृदा में क्ले की मात्रा
  • नमी की मात्रा
  • घुलित ऑक्सीजन
  • आयरन, कैल्शियम की मात्रा
  • सूक्ष्मजीव भार
  • मिट्टी का प्रकार
  • उपलब्ध पोषक तत्व
  • जैविक परीक्षण

सामान्य मात्रा (जनरल डोज):

  • एनरिच्ड कैल्शियम सल्फर मिनरल = 4 टन प्रति एकड़ / 2 किग्रा प्रति पौधा (हाई डेंसिटी पौधों के लिए)

  • एनरिच्ड फॉस्फोरस ऑक्साइड = 600 किग्रा प्रति एकड़ / 2 किग्रा प्रति पौधा

  • एनरिच्ड आयरन ऑक्साइड = 400 किग्रा प्रति एकड़ / 1 किग्रा प्रति पौधा

  • एनरिच्ड येलो ऑक्साइड = 200 किग्रा प्रति एकड़ / 1 किग्रा प्रति पौधा

  • ज़ियोलाइट = 100 किग्रा प्रति एकड़

  • आयोनिक ग्रीन (ज्वालामुखीय) = 100 किग्रा प्रति एकड़

  • गोवर्धन खनिज खाद = 300 किग्रा प्रति एकड़ प्रति वर्ष / 2 किग्रा प्रति पौधा प्रति वर्ष

  • समुद्री खनिज = 200 किग्रा प्रति एकड़ / 100 ग्राम प्रति पौधा

  • सुरपाल = 4 किग्रा प्रति एकड़ प्रति वर्ष

  • सुपर सॉइल = 2 किग्रा प्रति एकड़

3. पोषण प्रबंधन

फूल आने से पहले मिट्टी में डालना:

  • नैनो नाइट्रोजन 4X (500 मि.ली.)

  • OK-P 2X (500 मि.ली.)

  • गोवर्धन खनिज खाद के साथ डालें

स्प्रे योजना:

  • नैनो NPK: 4 मि.ली./लीटर पानी, फूल से पहले 2 बार छिड़काव

  • नैनो कैल्शियम + नैनो पोटैश:

    • 1 बार फूल से पहले

    • 1 बार फल सेट होने के बाद (4 मि.ली. प्रत्येक)

  • सुहागा:

    • 1 किग्रा प्रति एकड़

    • 200–300 लीटर पानी में मिलाकर केवल मिट्टी पर छिड़काव करें (पौधों पर नहीं)

  • जिंक:

    • 2 मि.ली./लीटर पानी, वर्ष में 4 बार छिड़काव (नैनो स्वरूप में)

  • आयरन (लोहा):

    • 2 मि.ली./लीटर पानी, हर 2 महीने में एक बार (फ्रूट फ्लाई व डाई बैक से बचाव)

  • सिल्वर AG + कॉपर:

    • 2 मि.ली. सिल्वर + 1 मि.ली. कॉपर, फफूंद संक्रमण के दौरान वर्ष में 4 बार छिड़काव

4. कीट एवं रोग प्रबंधन

फ्रूट फ्लाई (फल मक्खी):

  • फलों को पॉलीथीन बैग से ढंकें

  • स्प्रे: अमृत धारा (5 मि.ली.) + बजरंग बाण (1 मि.ली.), हर 15 दिन में

  • फल मक्खी ट्रैप का उपयोग करें

  • गंध चिकित्सा करें (सुबह और शाम)

शूट बोरर:

  • M+ (50% फर्मेंटेड) का छिड़काव करें

  • नैनो बजरंग बाण + अमृत धारा का छिड़काव करें

मीली बग:

  • जून व अक्टूबर में M+ व V+ को मिट्टी में डालें

  • बजरंग बाण + अमृत धारा का Sajal के साथ छिड़काव करें

अमरूद फल बेधक:

  • जब फूल फल बनने लगें, तब M+ (50% फर्मेंटेड) का छिड़काव

  • नैनो बजरंग बाण + अमृत धारा का छिड़काव करें

5. रोग नियंत्रण

विल्ट (जड़ सड़न):

  • अधिक सिंचाई से बचें

  • पोषण प्रबंधन सही रखें

  • सिल्वर AG (2 मि.ली.) + कॉपर (2 मि.ली.) का स्प्रे करें

  • फफूंद भक्षक को मिट्टी में डालें

फल एंथ्रेक्नोज व डाई बैक:

  • कॉपर + आयरन का छिड़काव

  • फफूंद भक्षक (20%) का स्प्रे

  • सिल्वर AG + कॉपर का स्प्रे

6. मासिक रख-रखाव और अतिरिक्त उपयोग

  • अन्नु जल: महीने में एक बार छिड़काव

  • कार्बन उर्वरक: सिंचाई के साथ कम से कम 200 लीटर प्रति माह

  • ऊर्जा जल: हर 2 महीने में उपयोग करें

  • सुरपाल: प्रत्येक सिंचाई में 200 ग्राम डालें

सारांश

  • मिट्टी संतुलन की शुरुआत पूरी मिट्टी परीक्षण से करें
  • लंबे समय तक मिट्टी स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए जैविक व सूक्ष्म जीव आधारित उपचार अपनाएं
  • नैनो और कंपोस्ट आधारित उत्पादों से पोषण प्रबंधन करें
  • कीटों और रोगों से जैविक व नैनो छिड़काव से सुरक्षा करें
  • नियमित सूक्ष्म पोषक तत्व और मिट्टी सुधारक से पौधे स्वस्थ रखें
  • मासिक व मौसमी देखभाल से उपज में वृद्धि और रोग प्रतिरोध सुनिश्चित करें

 

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